Thursday, March 21, 2019

चैतन्य त्रिवेदी की कविता --- मैं इसे क़त्ल का ही नाम दूंगा !



    इंदौर के वरिष्ठ कवि 
   और ख्यात लघुकथाकार
    श्री चैतन्य त्रिवेदी 




मैं इसे क़त्ल का ही नाम दूंगा !
      
       भले ही लोग पूछें 
     परिचित या रिश्तेदार  
     आसपड़ौस चर्चारत रहें  
     क्या हो गया था 
     कल तक तो ठीक थे  
    बीमार थे क्या 
    क्या हो गया था 
    लेकिन मैं इस दुनिया की
    आम रीत का शब्द -
   मृत्यु , नहीं मानूँगा  
   यह ईश्वर द्वारा प्रायोजित 
    मेरा कत्ल है 
    मुझे पहले पहल के
उस वाक्य पर भी
नहीं विश्वास --
     मृत्योर्मा अमृतं गमय
     क्योंकि आँख जब 
     समझ में शुरू हुई
    सपनों और कल्पनाओं से 
     भरी हुई थी 
     सपनों से भरी आँखें 
    किसी मृत्यु से किसी अमरता से 
   ज्यादा बड़ी और चमकदार भी 
   जैसे जैसे जान रहा हूँ --
   यह उम्र नहीं है 
   शिकार की तरफ धकेलने की साजिश कोई 
 जिसे तारीख की तरह 
  पहचानते, डरे हुए लोग
  मैं अभी भी तैयार नहीं 
  जिस तरह दुनिया धुंधला गई है 
  वैसी ही नजर से
आसमान के बारे में बताऊँ,
जबकि मैं 
  तितलियों के रंग साफ साफ
  अभी भी पहचान सकता हूँ 
  भौंरो की आवाज में 
    गुनगुना भी सकता हूँ 
   लेकिन ईश्वर अपने धार्मिक 
   कारिंदो के साथ 
   पीछा कर रहा है मेरा 
   कई कथाएँ लिए 
  जब कि वह जानता है 
 आत्मा में जितना पसंद है वह मुझे 
 कथा किस्सो में नहीं 
उन तारीखों और दिनों में भी 
   कोई दिलचस्पी नहीं जहाँ ईश्वर ने 
  चमत्कार खास लोगों के लिए किए 
    शरीफ और सीधे साधों को 
 बेरहमी से मरने के लिए छोड़ दिया 
  अगर वह अपने फैलाए गए किस्सो से,
स्वयं को अलग कर ले
  तो मैं भी उसे मृत्यु के नाम पर 
   मेरे कत्ल के इल्जाम से 
    मुक्त कर दूँगा 
    पर ऐसा होगा नहीं 
धार्मिक कारिंदे
जो कथाओं में ढो रहे
अपना अपना ईश्वर 
  वे सब अपने अपने ईश्वर की तरफ से 
 मेरी हत्या कर सकते हैं 
  आखिर क्यों हजारों सालों से 
 इन कथाओं की उम्मीद पर 
 ईश्वर जानने देखने या महसूस करने की
चाह जगाए हुए हैं 
जबकि ईश्वर
उन सब जगहों से जा चुका है,
जहाँ जहाँ वह हो चुका है 
  और हम सब भी गवाँ चुके हैं 
 किसी नए ईश्वर के यकीन 
 सिर्फ ढो रहे पुराने किस्से कहानियाँ
अलग अलग ईश्वर के कारिन्दे
 भयभीत हैं
सबसे पहले वे मारे जा सकते हैं 
अगर कहीं नए ईश्वर का
कोई यकीन
जगह बना ले तो !!


 -------