Wednesday, July 27, 2016

सुभाष चन्द्र कुशवाह की कहानियाँ .....

सुभाष चन्द्र कुशवाह के इस कथा संग्रह उत्तर भारत के गांवों कि झलक मिलती है. कहन शैली कुछ कहानियों में दादी-नानी के किस्सों कि याद दिलाती है, जो रोचक भी है. कौवाहंकनी में सुभाष किस्सों को विस्तार दे कर आधुनिक छल-प्रपंच तक ले जाते हैं. वहीँ भटकुइयाँ इनार का खजाना और लाला हरपाल के जूते में लेखक की व्यंग्य दृष्टि मुखर होती है. नई हवा में जहां गाँव में पेप्सी-कोला पहुँच रहे हैं वहीँ जहरीली शराब चुस्की के पाउच भी. लोग बीमार हो रहे है, मर रहे हैं लेकिन सरकारी मदद को ले कर खेंच-पकड़ भी है. जात-बिरादरी, मुखैती, सरपंची के बीच गाँव की प्रधानी पर इस बार दलित महिला का आरक्षण है  जो व्यवस्था की अनेक परतें खोलता है. भौतिक संसार से अलग होने के द्वंद्व में डॉ.अशोक की माई का चित्रण है तो अन्य कहानी में लंगड जोगी हैं जिनकी सारंगी घर वालों ने रखवा ली  है, पाबन्दी का कारण मंदिर-मस्जिद के झगड़े हैं. सुभाष चन्द्र कुशवाह की ये कहानियाँ परपरागत गांवों में बदलाव और संक्रमण को बहुत अच्छे से दिखाने वाला साहित्य का समाजशास्त्र कही जा सकती हैं. मुहावरेदार भाषा, रोचक ग्रामीण परिवेश के नए शब्द भी पाठकों के हिस्से में आते है.

Thursday, July 21, 2016

मानव कौल का कहानी संग्रह

मानव कौल का यह पहला कहानी संग्रह  है जिसमें उनकी बारह कहानियां पाठकों के सामने हैं. मानव बहुमुखी हैं, लेखन के आलावा वे फिल्मों, थिअटर में अभिनय कर रहे हैं. नाटकों का निर्देशन वे करते रहे हैं . काई पो चे  और वजीर जैसी फिल्मों में काम मानव के करियर को रेखांकित करते हैं. किताब के फ्लेप पर लिखा है कि उनके लेखन की तुलना निर्मल वर्मा और विनोद कुमार शुक्ल के लेखन से की जाती  है. 
संग्रह की सभी कहानियाँ मनोवैज्ञानिक जटिलता और संवेगों के स्वर में हैं. हर कहानी प्रथम पुरुष यानी मैं से शुरू होती है और पाठक को लगता है कि कहानीकार अपनी  आपबीती सुना रहा है. आसपास कहीं, अभी अभी से ...., मौन के बादलकी, टीस आदि कहानियाँ हालाँकि नए ढंग से कही गई हैं किन्तु इनके आंतरिक गठन में इतनी अमूर्तता और क्लिष्टता है कि पाठक को  साथ चलने में कठिनाई होती है. दूसरा आदमी, गुना-भाग , माँ’ ‘मुमताज भाई  पतंग वाले और तोमाय गान शोनाबो अपेक्षाकृत अधिक संप्रेषित होती हैं तो इसलिए कि इनमें पाठक संवाद कर पाता है. कथानक अपनी क्लिष्टता के बावजूद लीक से हट कर हैं और कुछ कहानियों में रोचक भी है. लेकिन सामान्य पाठक के लिए कहानी के अंत तक पहुंचना चुनौती प्रतीत होता है. 
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