Thursday, June 6, 2013

तांत्रिक और उनका माउज़र !!!

         
आलेख 
जवाहर चौधरी  


एक दिन उन्होंने बताया कि उनका माउजर पिस्टल चोरी हो गया है. पिस्टल उनके बेडरूम में, बिस्तर पर तकिये के नीचे रखा रहता था. आश्चर्य हुआ कि घर में इतने अंदर तक कौन जा सकता है भला ! मुझे माउजर की कीमत नहीं मालूम थी, मंहगा होगा यह समझता था. कौन ले गया होगा ? उन्होंने पूछा . मुझे कुछ सुझा नहीं, कैसे सूझता, मैं हमेशा तो वहाँ बना नहीं रहता था. घर में किन-किन लोगों का आना-जाना है यह भी पता नहीं था. मैंने कहा -कहीं रख कर भूल तो नहीं गए हो ..... सब जगह ठीक से देख लिया या नहीं. उन्होंने बताया कि सब जगह देख लिया है. पिस्टल तकिये के नीचे से ही गायब हुआ है.
        वो मेरा परिवार जैसा ही है, समझिए अपना ही घर. बात पुरानी है, उनके घर में मेरा आना-जाना भी काफी था, तब मैं एक कालेज में नया-नया नौकरी पर लगा था, विवाह भी हो चुका था. यानी एक गरिमा और जिम्मेदारी की जद में था और ऐसा मान रहा था कि वे इसी हैसियत से मुझसे परामर्श कर रहे हैं.
       पिस्टल हर किसी के काम की तो है नहीं ! उन्होंने फिर कहा.
       पुलिस में रिपोर्ट डाल देना चाहिए. मैं बोला .
       उन्होंने सहमति जताई लेकिन तुरंत कुछ नहीं किया, कम से कम मेरे सामने तो नहीं.
       पिस्टल नहीं मिली, लंबा समय गुजर गया. इस बीच मैं उनसे मिलता रहा. वे अनमने और खिन्न रहते, कभी-कभी पिस्टल का जिक्र भी करता लेकिन उनकी उदासी और चिंता देख अधिक विस्तार में नहीं जाता.
              एक दिन पता चला कि पिस्टल मिल गई. पुलिस ने एक नामी बदमाश के पास से जब्त की. वे खुश थे. अब सवाल था ही कि उसके पास पिस्टल कैसे पहुंची!! लेकिन इस बात का उत्तर उन्होंने नहीं दिया. मैंने भी ज्यादा शोध नहीं किया, सोचा बड़े लोग, बड़ी बातें. होगा कुछ, अंत भला तो सब भला.
       चार-छ: महीने बाद एक दिन बोले, - पिस्टल चोरी के बाद हम एक तांत्रिक के पास गए थे. उसने क्रिया करने के बाद तमाम बातें बताई. ....... मैं यह सुन कर दंग रह गया कि तांत्रिक ने पिस्टल चोर का हुलिया मुझसे मिलता हुआ बताया. सबसे दुख:द बात यह थी कि इस बीच मेरे आने-जाने पर परिवार के लोगों द्वारा सावधानी पूर्वक निगाह रखी जाती रही. तांत्रिक के कहने पर उनका मुझ पर संदेह बना रहा. बाद में सच्चाई कुछ और निकली तो मुझ पर शंका की यह बात बता कर वे अपने अपराध बोघ से तो मुक्त हो गए. लेकिन चालीस वर्ष हो गए मैं आज भी माउज़र वाले अपनों से डरता हूँ.

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