आलेख
जवाहर चौधरी
नरेश एक भले इंसान हैं और अपने व्यवसाय की इस चालाकी से दुखी भी । उन्होंने बताया कि सोना हमेशा सुनार का होता है । पहनने वाले इसे उधार में पहनते हैं । सोने का जो गणित उन्होंने बताया वह चैंकाने वाला है । आप भी देखिए----
जेवर बनाने के लिए सोने में तांबा मिलाया जाता है जिसे " खार " कहते हैं । कहा जाता है कि खार 10 प्रतिशत मिलया जाता है लेकिन वास्तव में यह 20 प्रतिशत होता है ।
1. माना कि आप दस ग्राम सोने का जेवर खरीदते हैं तो आपको वास्तव में आठ ग्राम सोना मिलेगा । इसमें दो ग्राम खार होगा .
2. दोबारा तब उसे तुड़वा कर नया बनवाने जाते हैं तो सुनार दो ग्राम खार काटेगा और उसे ही नया बना कर देते वक्त दो ग्राम खार जोड़ेगा । इस तरह चार ग्राम का घपला हो जाएगा । अब तक कुल घपला छः ग्राम का हो गया ।
3. अब अगर आप दूसरी बार तुड़वा कर नई डिजाइन का जेवर बनवाते हैं तो फिर चार ग्राम का घपला होगा ।
इस तरह दो बार जेवर तुड़वाने-बनवाने में आपका सारा सोना सुनार के पास चला जाता है और आपको पता भी नहीं चलता है ।
अगली बार जब सोने का सुख उठाना चाहें तो जरा सोच समझ कर .
अच्छी बात यह है कि नरेश जैसे लोग इस बात से दुखी हैं । लेकिन बाजार की इस चालाकी को ठीक करवाना उनके हाथ में नहीं है . सोने के मामले में सावधानी ही सुरक्षा है . जहाँ तक संभव हो सोने से बचिए .
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