अपने गिरेबां में
ग़ालिब-ए-खस्ता के बगैर, कौन से काम बंद हैं ... रोइए ज़ार ज़ार क्या, कीजिये हाय हाय क्यों .
गोइंका व्यंग्यभूषण सम्मान
गोइंका व्यंग्यभूषण सम्मान
उपन्यास
अपने गिरेबां में
लघुकथाएं
व्यंग्यश्री - 2014
कुछ यादें, बेतरतीब सी .....
Hindi vyangya
Wednesday, April 28, 2010
* यहाँ कविता सुनी जाती है
*
यहाँ कविता सुनी जाती है
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment