भले तुम दूर चले गए हो फिर भी मेरे साथ ही हो
तुम्हारे प्यार की सांसों को महसूस करती हूं मैं
उदास उसांसों के साथ घिरती है रात
और हम दोनों के बारे में बातें करती है
जो कुछ भी था तुम्हारे और मेरे बीच इस क़दर शाश्वत
कि अलविदा के बारे में हम कभी सोच भी नहीं सकते
तुम इस समंदर और उस सितारे के बीच रहोगे
रहोगे मेरी नसों के किनारों पर
कुछ मोमबत्तियां जलाऊंगी मैं और पूछूंगी ईश्वर से
कब लौटकर आ रहे हो तुम...
[ कवि श्री गीत चतुर्वेदी द्वारा किया गया अनुवाद अंश .]
Jane wale kabhi nahi lautate phir bhi aakhri sans tak intajar rahega.
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