आलेख
जवाहर चौधरी
संजय दत्त ने कहा है कि वे देश को प्रेम
करते हैं, और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का सम्मान भी. वे जेल जाने और सजा काटने के
लिए भी तैयार हैं! शायद देश को उनकी इस कृपा के लिए आभारी होना चाहिए. वे समाज के
उस वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं जहां सत्ता और सम्रद्धि से लोगों में इस तरह की
अदा विकसित हो जाती है. वो अपने को न केवल अन्य लोगों से ऊपर मानते हैं बल्कि कानून और
व्यवस्था को भी जेब में पड़ा पर्स मान लेने की गलतफहमी पल लेते हैं. बोलचाल कि भाषा
में जिन्हें बिगडैल बच्चे कहा जाता है वैसा ही यहाँ भी दिखाई देता है. माता-पिता या
बहन को हटा कर देखें तो संजय में अभिनेता होने के आलावा ऐसा कुछ नहीं है जिससे उन
पर दया का औचित्य सिद्ध होता हो. बुरी संगत से बुरे पथ का निर्माण होता है. यह
पूरी तरह चुनाव का विषय है. ऐसा नहीं होगा कि माता-पिता ने उन्हें कुपथ पर जाने से
रोकने का प्रयास नहीं किया होगा. किन्तु संजय ने उनके मान-सम्मान, पद, प्रतिष्ठा
सबको अनदेखा किया. न उन्हें अपना ख्याल रहा और न ही समाज का. वे जो करते रहे हैं,
वैसा दूसरा कोई करे तो उसे दुनिया वाले लायक पुत्र कहेंगे इसमें संदेह है.
उन्होंने कहा है कि वे माफ़ी नहीं मांगेगे! सच ही कहा, उन्होंने अपने किये की माफ़ी
शायद कभी भी नहीं मांगी होगी. माँ-बाप को सारी नहीं कहा होगा. कहा भी होगा तो दिल
से नहीं. माफ़ी मांगना उनकी आदत में नहीं है.
लेकिन एक बात यहाँ समाज के लिए भी सोचने की भी है. संजय अपराधियों के संपर्क में आये, उनके हाथों का खिलौना बने तो क्यों !?
अपराधी समाज में सक्रीय रहते आये हैं तो दोषी कौन है? सरकार कहाँ गई? और राज किसका
है? कौन है संप्रभु? गुंडे हप्ता वसूलते
है, फिरौतियां लेते है, हत्याएं करते हैं, उद्योगपतियों, अभिनेताओ आदि से बड़ी
रकमें मांगते हैं, और दबाव में लोगो को देना पडती है. ऐसे में असफल कौन होता रहा
है? यह कानून और सरकार की नाकामयाबी है कि उसके रहते जंगल-राज पनप गया!! आज लोग
गवाही देने से कतराते हैं क्योकि वे जानते हैं कि व्यवस्था इतनी ढीली है कि गवाही
देने के बाद वे सुरक्षित नहीं रह पाएंगे. संजय का व्यक्तित्व ऐसा नहीं है कि वे
किसी की कठपुतली बनते. लेकिन व्यवस्था से पनपी असुरक्षा ने उन्हें अपराधियों के
हाथ खिलौना बनाया. सरकार का प्राथमिक कार्य है कि वो अपने नागरिकों को असामाजिक
तत्वों से सुरक्षा प्रदान करे. अगर लोगों में धारणा है कि अपराधी पुलिस से मिले
हैं और क़ानूनी सुराखों से वे प्रायः बाइज्जत बरी होते रहते हैं तो आसली दोषी कौन
है? माफ़ी किसे मंगनी चाहिए? और किसे माफ़ किया जाना चाहिए?
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